मंकी पॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स वायरस से होने वाली बीमारी है जिसे 'मंकीपॉक्स वायरस' के नाम से जाना जाता है। यह मुख्य रूप से जानवरों (आम तौर पर चूहे और बंदर की प्रजातियां) को संक्रमित करता है, लेकिन उनसे मनुष्यों को भी लग सकता है। मंकीपॉक्स वायरस के 2 प्रकार (या क्लैड) होते हैं।
1. पश्चिम अफ़्रीकी (West African) क्लैड: इससे हुई बीमारी कम गंभीर होती है।
2. मध्य अफ्रीकी (Central African) या कांगो बेसिन (Congo Basin) क्लैड: यह ज्यादा गंभीर बीमारी कर सकता है।
2022 में जो मंकीपॉक्स विश्व में फैला है, वह पश्चिम अफ्रीकी कबीले के कारण हुआ है।
मानव मामले 1970 से देखे जा रहे हैं लेकिन ये केवल मध्य और पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्रों तक ही सीमित थे। दुनिया के अन्य क्षेत्रों में केवल कुछ ही मामले सामने आए थे परन्तु ये सभी या तो प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा कर के आये थे, या फिर वहां से आयातित जानवरों के संपर्क में थे।
मंकीपॉक्स वायरस, चेचक का नज़दीकी रिश्तेदार है। चेचक ने एक ज़माने में पूरी दुनिया को भयभीत कर रखा था। चेचक की उच्च मृत्यु दर और विकृति दर ने दुनिया को हिला दिया था।
हमें मंकीपॉक्स के बारे में जानने की आवश्यकता क्यों है?
2022 में, भारत सहित विश्व के जिन इलाकों में यह बीमारी कभी नहीं देखी गयी थी, उनमें भी अब मामले बढ़ते जा रहे हैं। भारत में भी शुरुआत हो चुकी है। नए मामलों में से कई का अफ्रीकी महाद्वीप क्षेत्रों से कोई संबंध नहीं है। भारत में 3 अगस्त 2022 तक 9 मामले दर्ज किए गए। कुछ का अंतरराष्ट्रीय यात्रा का इतिहास है, लेकिन अफ्रीका में नहीं।
संक्रमण के स्रोत, फैलने के तरीके और लक्षणों के स्वरूप का अभी भी अध्ययन किया जा रहा है। इसलिए खुद को और समाज के अन्य सदस्यों की सुरक्षा के लिए अपडेट रहने की जरूरत है।
मंकीपॉक्स कितना खतरनाक है?
वर्तमान प्रकोप (पश्चिम अफ्रीकी क्लैड द्वारा) में, मृत्यु दर 100 में लगभग 1 (1%) है।
परन्तु इससे जो बीमारी होती है, वह काफी कष्टदायक होती है और इसे ठीक होने के लिए करीबन 2 से 4 सप्ताह लग जाते है। यह ठीक होने के बाद भी शरीर पैर निशान पैर दाग छोड़ सकती है।
निम्नलिखित व्यक्तियों के लिए रोग की गंभीरता और मृत्यु दर अधिक है:
• कमजोर प्रतिरोध क्षमता वाले लोग उदहारण के लिए एचआईवी/एड्स, प्रतिरोध को कम करने वाली दवाएं
• 8 साल से कम उम्र के बच्चे
• एक्जिमा वाले लोग
• गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं
कांगो बेसिन (मध्य अफ्रीकी) प्रकार के मंकीपॉक्स वायरस की मृत्यु दर लगभग 10% है।
मंकीपॉक्स रोग के लक्षण:
आमतौर पे संक्रमित होने के बाद लक्षण आने में एक से दो सप्ताह लगते है। हालाँकि यह समय कुछ परिस्तिथियों में 5 दिन से लेकर 3 सप्ताह तक हो सकता है।
यह बीमारी चरणों में होती है:
1. प्रथम चरण ('प्रोड्रोम') (0 - 5 दिन):
•बुखार
• तेज सिरदर्द
• लिम्फ नोड्स की सूजन (एक विशिष्ट लक्षण, आमतौर पर चिकेनपॉक्स, चेचक या खसरा जैसे अन्य प्रकार की माता के दाने में नहीं देखी जाती है)
• पीठ दर्द और मांसपेशियों में दर्द
• बहुत कमज़ोरी महसूस होना
2. दूसरे चरण में (1-3 दिनों के बुखार के बाद) त्वचा पर लाल दाने दिखाई देते हैं:
मंकीपॉक्स के दाने (रैश) की पहचान:
• मुख्य शरीर के बजाय चेहरे, हाथ और पैरों पर अधिक केंद्रित
• हथेलियों और पैरों के तलवों में भी दाने होना
• मुंह के अंदर छाले या दाने
• जननांगों में दाने या छाले
• आँखों का कंजाक्तिवा; गंभीर मामलों में भी कॉर्निया प्रभावित हो सकता है
मंकीपॉक्स रैश का स्वरुप समय के साथ बदलता है।
I. त्वचा पर चपटे धब्बों से शुरू होता है (मैक्यूल्स)
II. ये धब्बे छोटे-छोटे दानों में उभर जाते हैं। (पैपियूल)
III. इन दानों में पानी भर जाता है। (वैसाईकल)
IV. इसके बाद, यही दाने पीले मवाद से भर जाते हैं। (pustules)
V. दाने सूखने लगते हैं और पपड़ी से ढँक जाते हैं। पपडियां अंततः गिर जातीं हैं।
दानों की संख्या कुछ से लेकर हजारों तक हो सकती है। अधिक गंभीर मामलों में, दाने आपस में मिल कर बड़े बड़े बन सकते हैं। त्वचा के ये हिस्से बाद में गिर सकते हैं।
3. रिकवरी 2 - 4 सप्ताह में होती है। त्वचा के दाग-धब्बे पीछे छूट सकते हैं। गंभीर मामलों में, कॉर्निया में हुई क्षति से दृष्टि प्रभावित हो सकती है।
चेचक के टीकाकरण के कारण बड़े लोगों (> 45 वर्ष की आयु) को पहले से ही कुछ सुरक्षा प्राप्त हो सकती है (1980 में चेचक का टीकाकरण बंद कर दिया गया था)। इसलिए 1980 के बाद पैदा हुए लोगों में इस बीमारी का खतरा एवं गंभीरता अधिक होने की सम्भावना है।
कुछ मामलों में जटिलताएं (मर्ज़ बिगड़ जाना) पैदा हो सकती हैं। जटिलताओं में शामिल हैं:
• दानों में संक्रमण (सेप्सिस) हो सकता है, जिससे और ज्यादा निशान छोड़ सकते हैं। इससे ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है।
• फेफड़ों में संक्रमण (निमोनिया)
• पूरे शरीर में सेप्सिस फैल जाना
• एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन)
• कॉर्नियल घाव के कारण अंधापन
क्या कुछ व्यक्तियों में स्वयं कोई लक्षण न होते हुए भी संक्रमण हो सकता है और फैल सकता है?
ऐसे कैर्रिएर अभी तक नहीं देखे गए हैं।
मंकीपॉक्स का डायग्नोसिस (रोग की पहचान) कैसे किया जाता है?
अन्य रोग जो मंकीपॉक्स के जैसे दिख सकते हैं:
•छोटी माता (चिकेनपॉक्स)
• हर्पीस ज़ोस्टर
• खसरा
•इन्फेक्शस मोनोन्यूक्लियोसिस
• खुजली (स्कैबीज़)
• रिकेट्सिया पॉक्स
• मेनिंगोकोसेमिया
• सिफलिस की दूसरी स्टेज
• चेचक आदि।
किसी रैश की मंकीपॉक्स होने संभावना सबसे अधिक हो सकती है यदि:
• रोगी मोंकीपॉक्स प्रभावित क्षेत्र की यात्रा कर केआया हो या मंकीपॉक्स के मरीज़ से संपर्क में रहा हो
• अफ्रीकी मूल के किसी जंगली या पालतू जानवर (जीवित/मृत) के संपर्क का इतिहास रहा हो
• बुखार और थकान वाले प्रथम चरण में लिम्फ गांठों का बड़ा होना
• हथेलियों और पैरों के तलवों पर भी दानों की उपस्थिति
• शरीर के एक हिस्से पर मौजूद सभी दाने एक ही चरण में हों
• रोगी के मुंह के अंदर और/या जननांग में दाने हों
हालांकि, मंकीपॉक्स के वर्तमान प्रकोप में, रोगियों में असामान्य लक्षण भी पाए जा रहें हैं।
मंकीपॉक्स होने का पुष्टिकरण:
पीसीआर (पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन)/PCR पर इसके डीएनए पाए जाने पर मंकीपॉक्स की पुष्टि हो जाती है।
पीसीआर के लिए जिन नमूनों का उपयोग किया जा सकता है वे हैं:
• दानों से ली गयी बायप्सी
• दानों से निकला हुआ पानी (एक पतली सुई और सीरिंज की सहायता से)
• नाक एवं मुँह से लिया गया स्वाब
यदि दाने अभी तक प्रकट नहीं हैं या दिख नहीं रहें हैं, तो पीसीआर के लिए दूसरे नमूने लिए जा सकते हैं:
•खून का नमूना
• मूत्र का नमूना
मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?
मानव से मानव संचरण:
• सांस में मौजूद पानी के कणों द्वारा, इसके लिए मरीज़ से लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है। इसका मतलब यह भी है कि फेस मास्क ट्रांसमिशन को रोकने में कारगर हो सकता है।
• दाने, दानों का द्रव या दानों की पपड़ी के साथ सीधा संपर्क
• दूषित कपड़े या लिनेन के माध्यम से दानों का द्रव या पपड़ी के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क
• मरीज़ के साथ अंतरंग संपर्क जैसे कि यौन संपर्क
पशु से मानव प्रसार:
• संक्रमित जानवर के काटने या खरोंच के माध्यम से जैसे कि कृन्तकों (गिलहरी, चूहा) और गैर-मानव प्राइमेट (बंदर, वानर)
• शिकार किये हुए जानवर का मांस को पकाने से
संचार क्षमता की अवधि
एक मंकीपॉक्स रोगी पहले लक्षण की शुरुआत के दिन से ही संक्रमण दे सकता है और तब तक संक्रामक बना रहता है जब तक कि सभी क्रस्ट गिर न जाएं और त्वचा की एक नई परत न उग आये।
आमतौर पर संक्रमिकता समाप्त होते होते २-४ सप्ताह लग सकते हैं।
मैं अपने आप को कैसे सुरक्षित रखूँ?
• बार-बार साबुन से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित सैनिटाइज़र का उपयोग करें
• मंकीपॉक्स जैसे दिखने वाले त्वचा के दानों को न छुएं।
• मंकीपॉक्स के रोगी के संपर्क में आने वाले किसी भी बिस्तर, कपड़े या किसी भी वस्तु को न छुएं
• किसी संदिग्ध या पुष्ट मामले के साथ आलिंगन, चुंबन या यौन संपर्क से बचें। सभी त्वचा से त्वचा के संपर्क से बचें।
• रोगी या संक्रमित जानवर के किसी भी संपर्क के बाद साबुन और पानी से हाथ धोना या हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करना
• संदिग्ध या पुष्ट मामले के साथ भोजन, चश्मा, कप और अन्य बर्तन साझा न करें
• बीमार या मृत जानवरों या यहां तक कि उनके संपर्क में आने वाली वस्तुओं को छूने से बचें
यदि मंकीपॉक्स रोगी की देखभाल कर रहे हैं:
• रोगी को एक अलग कमरे में रखें
• मंकीपॉक्स रोगी की सेवा करते समय भारत सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करें। यह ऑनलाइन उपलब्ध है
• व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण का उपयोग करें
• रोगी के साथ तौलिये, बिस्तर, लिनन, बर्तन आदि साझा न करें।
• रोगी की देखभाल करने के बाद साबुन से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित सैनिटाइज़र का उपयोग करें।
• रोगी के उपचार से निकला हुआ संक्रामक कचरा बायोमेडिकल वेस्ट (रुई, ड्रेसिंग आदि) मैनेजमेंट दिशा-निर्देशों में सूचीबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए
संयुक्त राज्य अमेरिका में सीडीसी ने इस बारे में दिशानिर्देश भी जारी किए हैं: https://www.cdc.gov/poxvirus/monkeypox/specific-settings/home-disinfecti...
• रोगी को तब तक आइसोलेशन में रखें जब तक कि सभी घाव ठीक न हो जाएं और उनके ऊपर त्वचा की एक नई परत न बन जाए।
• पालतू जानवरों को रोगी के संपर्क में न आने दें
सन्दर्भ (References):
GOI, MoHFW, 2022. Guidelines for Management of Monkeypox Disease. Available at: https://main.mohfw.gov.in/sites/default/files/Guidelines%20for%20Managem... accessed on 19th July 2022
WHO website, Monkeypox available at: https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/monkeypox accessed on 19th July 2022
Isalker Umesh. Monkeypox virus in Indian patient is milder West African clade. National Institute of Virology. 28th July 2022. https://timesofindia.indiatimes.com/city/pune/monkeypox-virus-in-indian-...